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केस स्टडी

6 Solved Questions with Answers
  • 2024

    Q7. एबीसी इनकॉपोरेटेड नाम की एक तकनीकी कंपनी है जो तीसरी दुनिया में स्थित, संसार की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। आप इस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और बहुसंख्यक शेयरधारक हैं। तेज़ी से हो रहे तकनीकी सुधारों ने इस परिदृश्य की धारणीयता पर पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं, नियामक प्राधिकरणों और आमजन के बीच चिंता बढ़ा दी है। आप व्यवसाय के पर्यावरणीय पदचिह्न के बारे में महत्त्वपूर्ण मुद्दों का सामना करते हैं।

    2023 में, आपके संगठन में 2019 में दर्ज स्तरों की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 48% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ऊर्जा खपत में उल्लेखनीय वृद्धि मुख्य रूप से आपके डेटा केंद्रों की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता के कारण है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के तेज़ विस्तार से प्रेरित है। AI-संचालित सेवाओं को उनके उल्लेखनीय लाभ के बावजूद पारंपरिक ऑनलाइन गतिविधियों की तुलना में बहुत अधिक संगणनात्मक संसाधनों और विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी के प्रसार से पर्यावरणीय प्रभावों पर चिंता बढ़ गई है, इसके फलस्वरूप चेतावनियाँ भी बढ़ गई हैं। AI मॉडल, विशेष रूप से व्यापक मशीन लर्निंग और डेटा प्रोसेसिंग के उपयोग किये जाने वाले, पारंपरिक कंप्यूटर कार्यों की तुलना में बहुत अधिक ऊर्जा खपत करते हैं, जिसमें अत्यधिक तेज़ी से वृद्धि होती है।

    यद्यपि, वर्ष 2030 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन हासिल करने की प्रतिबद्धता और लक्ष्य पहले से ही है, उत्सर्जन कम करने की चुनौती भारी लगती है क्योंकि AI का एकीकरण जारी है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में पर्याप्त निवेश आवश्यक होगा। प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रतिस्पर्द्धी माहौल से कठिनाई और बढ़ गई है, जहाँ बाज़ार की स्थिति और शेयरधारक के मूल्य को बनाए रखने के लिये तेज़ी से नवाचार आवश्यक है। नवाचार, लाभप्रदता और धारणीयता के बीच संतुलन हासिल करने के लिये, एक रणनीतिक कदम आवश्यक है जो व्यावसायिक उद्देश्यों तथा नैतिक दायित्वों, दोनों के अनुरूप हो।

    (a) उपर्युक्त मामले में उत्पन्न चुनौतियों पर आपकी तत्काल प्रतिक्रिया क्या है?

    (b) उपर्युक्त मामले में शामिल नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिये।

    (c) आपकी कंपनी को तकनीकी दिग्गजों द्वारा दंडित किये जाने के लिये चिह्नित किया गया है। इसकी आवश्यकता को समझाने के लिये आप क्या तार्किक और नैतिक तर्क देंगे?

    (d) एक विवेकशील व्यक्ति होने के नाते, आप AI नवाचार और पर्यावरणीय पदचिह्न के बीच संतुलन बनाए रखने के लिये क्या उपाय अपनाएंगे ? (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये)

    परिचय:

    एबीसी इनकॉरपोरेटेड के सीईओ के रूप में मेरी तात्कालिक कार्रवाई, उत्सर्जन का आकलन करने, नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्यों के लिये प्रतिबद्धता, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ साझेदारी करने और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करने हेतु ऊर्जा-कुशल AI प्रौद्योगिकियों के लिये अनुसंधान एवं विकास पहल स्थापित करने पर केंद्रित होगी।

    मुख्य भाग:

    (a) एबीसी इनकॉरपोरेटेड के सीईओ के रूप में, मेरी तत्काल कार्रवाई में निम्नलिखित शामिल होंगे:

    • उत्सर्जन का आकलन: परिचालन से संबंधित प्रमुख योगदानकर्त्ताओं की पहचान करने के लिये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 48% वृद्धि के स्रोतों का विश्लेषण करना।
    • धारणीयता से संबंधित प्रतिबद्धता: 2030 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करना एवं प्रगति में तेज़ी लाने के उपायों को लागू करना।
    • नवीकरणीय ऊर्जा साझेदारी: डेटा केंद्रों की आवश्यकताओं को धारणीय स्रोतों में प्राप्त करने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा प्रदाताओं के साथ भागीदारी करना।
    • अनुसंधान एवं विकास पहल: कंप्यूटेशनल संसाधन उपयोग को न्यूनतम करने के लिये ऊर्जा-कुशल AI प्रौद्योगिकियों के निर्माण पर केंद्रित एक समर्पित टीम की स्थापना करना।

    (b) शामिल नैतिक मुद्दे:

    • पर्यावरणीय उत्तरदायित्व: पारिस्थितिक प्रभाव को न्यूनतम करना।
    • निगमित उत्तरदायित्व: सामाजिक, विनियामक और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारियों के साथ लाभ को संतुलित करना।
    • धारणीयता की अनदेखी: AI नवाचार पर्यावरण को क्षति पहुँचा सकता है।
    • सामाजिक उत्तरदायित्व: एक तकनीकी नेतृत्वकर्त्ता के रूप में सकारात्मक लोक धारणा को आकार देना।

    (c) संभावित दंड को कम करने के लिये, मैं तर्क दूँगा कि:

    • नेट ज़ीरो उत्सर्जन और धारणीयता प्रयासों के प्रति प्रतिबद्धता, जवाबदेही को प्रदर्शित करती है।
    • हम ऊर्जा-कुशल AI मॉडल विकसित करने में उद्योग का नेतृत्व कर सकते हैं और एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित कर सकते हैं।
    • पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप, धारणीय प्रथाएँ अल्पकालिक ज़ुर्माने की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करती हैं।
    • सहयोग को बढ़ावा देने से दंडात्मक के बिना प्रभावी धारणीयता मानकों की स्थापना की जा सकती है।
    • विकासशील देशों में कंपनियों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों को स्वीकार करने से निष्पक्ष मूल्यांकन संभव हो पाता है।

    (d) पर्यावरणीय विचारों के साथ AI नवाचार को सुसंगत बनाने के लिये, मैं:

    • कंप्टेशनल ऊर्जा की आवश्यकताओं को कम करने के लिये ऊर्जा-कुशल AI मॉडल में निवेश करने का प्रस्ताव रखूँगा।
    • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण तथा ऊर्जा-कुशल प्रणालियों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करूँगा।
    • प्रत्यक्ष उत्सर्जन को कम करते हुए कार्बन ऑफसेट कार्यक्रमों में शामिल होने का प्रस्ताव रखूँगा।
    • ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों के नवप्रवर्तन के लिये अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी करने का प्रस्ताव रखूँगा।
    • ई-अपशिष्ट को न्यूनतम करने के लिये पुराने बुनियादी ढाँचे के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने का प्रयास करूँगा।

    निष्कर्ष:

    AI नवाचार को पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के साथ संतुलित करना एबीसी इनकॉर्पोरेटेड के लिये महत्त्वपूर्ण है। धारणीयता को प्राथमिकता देकर और हितधारकों को शामिल करके, कंपनी नैतिक दायित्वों को पूरा करते हुए अपनी प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त को सुदृढ़ कर सकती है, जिससे हरित भविष्य में योगदान दिया सकता है।

  • 2024

    प्रश्न 8. रमण एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और हाल ही में उन्हें एक राज्य के डीजी के रूप में नियुक्त किया गया है। जिन विभिन्न मुद्दों और समस्याओं/चुनौतियों पर उन्हें तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता थी, उनमें एक अज्ञात आतंकवादी समूह द्वारा बेरोज़गार युवकों की भर्ती से संबंधित मुद्दा गंभीर चिंता का विषय था।

    यह पाया गया कि राज्य में बेरोज़गारी अपेक्षाकृत अधिक थी। स्नातक और उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों के बीच बेरोज़गारी की समस्या और भी गंभीर थी। इसलिये वे कमज़ोर और आसान लक्ष्य थे।

    डीआईजी रेंज और उसके ऊपर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उनकी समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि वैश्विक स्तर पर एक नया आतंकवादी समूह उभरा है। इसने युवा बेरोज़गार लोगों की भर्ती के लिये बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है। किसी विशिष्ट समुदाय से युवाओं को चुनने के लिये विशेष ध्यान दिया जा रहा था। उक्त संगठन का स्पष्ट उद्देश्य आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिये उनका उपयोग करना था। यह भी पता चला कि उक्त (नया) समूह उनके राज्य में अपना जाल फैलाने की पूरी कोशिश कर रहा है।

    राज्य सीआईडी और साइबर सेल को एक निश्चित/विश्वसनीय खुफिया सूचना मिली थी कि बड़ी संख्या में ऐसे बेरोज़गार युवाओं से सोशल मीडिया और स्थानीय सांप्रदायिक संगठनों तथा अन्य संपर्कों के माध्यम से आतंकवादी संगठन/समूह ने संपर्क किया है। समय की मांग है कि तेज़ी से कार्यवाही की जाए और इन तत्त्वों/योजनाओं को गंभीर रूप लेने से पहले ही रोक दिया जाए।

    साइबर सेल के माध्यम से पुलिस द्वारा की गई जाँच से पता चला कि बड़ी संख्या में बेरोज़गार युवा फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर बहुत सक्रिय हैं। उनमें से कई औसतन प्रत्येक दिन 6-8 घंटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस/इंटरनेट, आदि का उपयोग करते हुए बिता रहे थे। ये भी पता चला कि ऐसे बेरोज़गार युवा उस वैश्विक आतंकवादी समूह के खास व्यक्तियों (उनके संपर्क वाले) से प्राप्त संदेशों का समर्थन और सहानुभूति दिखा रहे थे। उनके सोशल मीडिया अकाउंट से पता चला कि ऐसे समूहों के साथ उनका गहरा जुड़ाव है, यहाँ तक कि उनमें से कई ने अपने वॉट्सएप और फेसबुक, आदि पर राष्ट्र-विरोधी ट्वीट फॉर्वर्ड करना शुरू कर दिया है। ऐसा लग रहा था कि वे उनकी चाल में फँस गए और अलगाववादी विचारधारा का प्रचार करने लगे हैं। उनके पोस्ट सरकार की पहलों, नीतियों की अति आलोचना करने वाली थी और अतिवादी मान्यताओं को मानने वाली तथा उग्रवाद को बढ़ावा देने वाली थी।

    A. उपर्युक्त स्थिति से निपटने के लिये रमण के पास क्या विकल्प उपलब्ध हैं?
    B. आप मौजूदा व्यवस्था को मज़बूत करने के लिये क्या उपाय सुझाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे समूह राज्य में घुसपैठ करने और माहौल खराब करने में सफल न हो सकें?
    C. उपर्युक्त परिदृश्य में पुलिस बल की खुफिया जानकारी एकत्र करने की प्रणाली को बढ़ाने के लिये आप क्या कार्य योजना सुझाएंगे?

    (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये)

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • परिस्थिति का संक्षिप्त परिचय लिखिये। 
    • रमण के समक्ष उपलब्ध विकल्पों और उपायों का उल्लेख कीजिये। 
    • खुफिया जानकारी एकत्र करने की प्रणाली को बढ़ाने के लिये कार्य योजना बताइये। 
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    नवनियुक्त महानिदेशक के रूप में रमन के समक्ष एक वैश्विक चरमपंथी समूह द्वारा बेरोज़गार युवाओं की आतंकवाद के रूप में भर्ती को रोकना एक गंभीर चुनौती है। इस परिस्थिति में समूह को अपना प्रभाव फैलाने और राज्य के सामाजिक ढाँचे को अस्थिर करने से रोकने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

    मुख्य भाग: 

    (A) रमन के लिये उपलब्ध विकल्प:

    • साइबर निगरानी: शीघ्र हस्तक्षेप के लिये चरमपंथी खातों पर नज़र रखने हेतु सोशल मीडिया पर निगरानी रखना।
    • खुफिया सहयोग: वास्तविक समय की आतंकवादी खुफिया जानकारी के लिये रॉ और आईबी जैसी एजेंसियों के साथ काम करना।
    • जन जागरूकता: युवाओं को उग्रवाद के खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिये अभियान चलाना।
    • कट्टरपंथ से मुक्ति: चरमपंथी आख्यानों का सामना करने के लिये धार्मिक और सामुदायिक नेताओं के साथ साझेदारी करना।
    • विधिक प्रवर्तन: आतंकवाद विरोधी दस्तों को तैनात करना और यूएपीए के तहत त्वरित कार्रवाई करना।

    (B) मौजूदा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उपाय:

    • साइबर इंटेलिजेंस को बढ़ावा: ऑनलाइन आतंकवादी ट्रैकिंग के लिये उन्नत तकनीक के साथ साइबर सेल को उन्नत करना तथा डिजिटल साक्ष्य हैंडलिंग और सोशल मीडिया विश्लेषण के लिये कर्मियों को प्रशिक्षित करना।
    • सामुदायिक सहभागिता: युवाओं की कट्टरता का सामना करने और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिये नेताओं तथा गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करना।
    • युवा रोज़गार: युवाओं में उग्रवाद के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिये कौशल विकास और उद्यमिता कार्यक्रम शुरू करना।
    • फर्ज़ी खबरों को रोकना: गलत सूचना और दुष्प्रचार के प्रसार से निपटने के लिये तथ्य-जाँच इकाइयों को मज़बूत करना।
    • एजेंसियों के साथ समन्वय: निर्बाध सूचना-साझाकरण और एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा प्रयासों के लिये खुफिया एजेंसियों (NATGRID) के बीच समन्वय बढ़ाना।

    (C) खुफिया जानकारी एकत्रित करने हेतु कार्य योजना:

    • HUMINT नेटवर्क का विस्तार: गतिविधियों और संभावित भर्तियों के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी एकत्र करने के लिये सुभेद्य समुदायों के भीतर खुफिया अभिकर्त्ताओं की संख्या बढ़ाना।
    • प्रौद्योगिकी और डेटा एनालेसिस: सोशल मीडिया की निगरानी, भर्ती पैटर्न और संभावित खतरों की पहचान के लिये AI तथा डेटा एनालेसिस का उपयोग करना।
    • सामुदायिक पुलिसिंग: नागरिकों को संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने के लिये प्रोत्साहित करना, ज़मीनी स्तर पर भागीदारी के माध्यम से शीघ्र पता लगाना।
    • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: खुफिया जानकारी एकत्रित करने, साइबर जाँच और डिजिटल साक्ष्य प्रबंधन में विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना, संसाधन-साझाकरण के लिये अंतर-एजेंसी सहयोग को बढ़ावा देना।

    निष्कर्ष : 

    रमण को नैतिक ज़िम्मेदारी के साथ विधिक प्रवर्तन को संतुलित करना होगा, कमज़ोर युवाओं की सुरक्षा करते हुए उनके अधिकारों का सम्मान करना होगा। समुदायों को शामिल करके और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर, वह आतंकवाद का सामना कर सकते हैं तथा समावेशी सामाजिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।

  • 2024

    प्रश्न 9). पिछले कुछ वर्षों में, विशेष रूप से, केंद्र और राज्य सरकारों की बहुआयामी रणनीति के चलते देश के प्रभावित राज्यों में नक्सली समस्या का काफी हद तक निराकरण हुआ है। हालाँकि कुछ राज्यों में कई इलाके ऐसे हैं जहाँ नक्सली समस्या अभी भी मुख्य रूप से विदेशी देशों की दखलअंदाज़ी के कारण बनी हुई है। रोहित पिछले एक साल से किसी ज़िले में एसपी (स्पेशल ऑपरेशन) के पद पर तैनात हैं, जो अभी भी नक्सली समस्या से प्रभावित है। ज़िला प्रशासन ने लोगों का दिल और दिमाग जीतने के लिये हाल के दिनों में नक्सल प्रभावित इलाकों में कई विकासमूलक कार्य अपनाए हैं। पिछले कुछ समय से, रोहित ने नक्सली कैडर की गतिविधियों के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करने के लिये एक उत्कृष्ट खुफिया नेटवर्क स्थापित किया है। जनता में विश्वास जगाने और नक्सलियों पर नैतिक प्रभुत्व जताने के लिये पुलिस द्वारा कई जगह घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। रोहित स्वयं एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। उन्हें अपने खुफिया सूत्र के माध्यम से संदेश मिला कि लगभग दस कट्टर नक्सली अत्याधुनिक हथियारों के साथ विशेष गाँव में छिपे हुए थे। बिना कोई समय गँवाए, रोहित ने अपनी टीम के साथ उस खास गाँव में पहुँच कर पूर्ण सुरक्षा का घेरा बनाया तथा व्यवस्थित तलाशी लेना शुरू कर दिया। तलाशी के दौरान, उनकी टीम सभी नक्सलियों पर स्वचालित हथियारों के साथ काबू पाने में कामयाब रही। हालाँकि, इस बीच पाँच सौ से अधिक आदिवासी महिलाओं ने गाँव को घेर लिया और लक्ष्य घर की ओर मार्च करना शुरू कर दिया। वे चिल्ला रही थीं और उपद्रवियों की तत्काल रिहाई की मांग कर रही थीं क्योंकि वे उनके संरक्षक तथा उद्धारक हैं। ज़मीनी हालात बहुत गंभीर होते जा रहे थे क्योंकि आदिवासी महिलाएँ अत्यंत उत्तेजित और आक्रामक थीं। रोहित ने अपने उच्च अधिकारी, राज्य के आईजी (स्पेशल ऑपरेशन्स) से रेडियो सेट और मोबाइल फोन से संपर्क स्थापित करना चाहा, लेकिन कमज़ोर कनेक्टिविटी के कारण वैसा कर पाने में वे असफल रहे। रोहित की बड़ी दुविधा थी कि पकड़े गए नक्सलियों में दो न केवल चोटी के कट्टर उग्रपंथी थे, जिनके सिर पर दस लाख रुपए का इनाम था, बल्कि वे हाल ही में सुरक्षा बलों पर घात लगाकर किये गए हमले में भी शामिल थे। हालाँकि, अगर नक्सलियों को नहीं छोड़ा गया तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती थी। यह इसलिये कि आदिवासी महिलाएँ आक्रामक रूप से उनकी ओर बढ़ रही थीं। उस स्थिति में, हालात को नियंत्रित करने के लिये रोहित को गोलीबारी का सहारा लेना पड़ सकता है, जिससे नागरिकों की बेशकीमती जान जा सकती है एवं स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी।

    (a) इस स्थिति से निपटने के लिये रोहित के पास कौन-से विकल्प उपलब्ध हैं?

    (b) रोहित को किन नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है?

    (c) आपके अनुसार रोहित के लिये कौन-सा विकल्प अपनाना अधिक उपयुक्त होगा और क्यों?

    (d) मौजूदा स्थिति में, महिला प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस द्वारा क्या अतिरिक्त एहतियाती कदम उठाए जाने चाहिये।

    (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये)

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • स्थिति का संक्षिप्त परिचय दीजिये। 
    • रोहित के पास उपलब्ध विकल्पों और रोहित के समक्ष आने वाली नैतिक दुविधाओं का उल्लेख कीजिये।
    • रोहित के लिये सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का उल्लेख कीजिये।
    • राज्य महिला सुरक्षा के साथ बातचीत करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतेगा।
    •  तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    कट्टर नक्सलियों की गिरफ्तारी से नाराज़ आदिवासी महिलाओं का एक समूह हिंसक होने की धमकी देता है, जो नक्सलवाद से पीड़ित ज़िले के एसपी रोहित के लिये एक गंभीर खतरा है। सार्वजनिक सुरक्षा, सामुदायिक संबंधों और कानूनी प्रवर्तन हेतु, उसे अपनी प्रतिक्रिया में रणनीतिक रूप से कार्य करना चाहिये।

    a) रोहित के पास उपलब्ध विकल्प:

    • रोहित अपने खुफिया नेटवर्क का उपयोग नक्सलियों के अपराधों और समुदाय के लिये उनके खतरे को समझाने के लिये कर सकते हैं, जिसका उद्देश्य प्रदर्शनकारियों को शांत करना है।
    • रोहित निचले स्तर के उग्रवादियों को रिहा कर सकते हैं, जबकि शीर्ष स्तर के उग्रवादियों को अस्थायी समझौते के लिये हिरासत में रख सकते हैं।
    • यदि वार्ता विफल हो जाती है, तब वह तनाव को बढ़ने से रोकने के लिये सावधानीपूर्वक गैर-घातक तरीकों का उपयोग कर सकता है।
    • वह स्थिति को शांत करने के लिये ऑपरेशन रोक सकते थे और अपने वरिष्ठ अधिकारियों से वैकल्पिक संवाद स्थापित कर सकते थे।

    b) रोहित के सामने नैतिक दुविधाएँ:

    • सार्वजनिक विश्वास बनाम कानून प्रवर्तन: हिंसक टकराव सरकार के विकास प्रयासों में जनता के विश्वास को कमज़ोर कर सकता है।
    • अल्पकालिक शांति बनाम दीर्घकालिक न्याय: नक्सलियों को रिहा करने से अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन दीर्घकालिक न्याय खतरे में पड़ सकता है।
    • महिलाओं का विरोध बनाम सार्वजनिक सुरक्षा: महिलाओं की उपस्थिति नैतिक दुविधा को जटिल बनाती है, क्योंकि बल का प्रयोग कमज़ोर समूह के विरुद्ध सत्ता के दुरुपयोग के रूप में माना जा सकता है।

    c) रोहित के लिये सबसे उपयुक्त विकल्प:

    • रोहित को बातचीत को प्राथमिकता देनी चाहिये, अपने खुफिया नेटवर्क का प्रयोग करके आदिवासी महिलाओं से संपर्क करना चाहिये, साथ ही गैर-घातक भीड़ नियंत्रण उपायों को अपनाना चाहिये। इससे तनाव कम होगा, विश्वास बढ़ेगा और हिंसा से बचा जा सकेगा, शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा मिलेगा तथा साथ ही यह सुनिश्चित होगा कि विद्रोही हिरासत में रहें, जिससे समुदाय के प्रति सम्मान प्रदर्शित होगा।

    d) महिला प्रदर्शनकारियों से निपटने में अतिरिक्त एहतियाती उपाय:

    • महिला प्रदर्शनकारियों से सहानुभूतिपूर्वक निपटने के लिये अधिकारियों को लैंगिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। पुलिस को ऐसी कार्रवाइयों से बचना चाहिये जो स्थिति को भड़का सकती हैं या बढ़ा सकती हैं।
    • भीड़ में महिलाओं के साथ बातचीत करने के लिये महिला अधिकारियों को तैनात करने, जिससे तनाव कम करने और विश्वास बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
    • स्थिति को शांत करने के लिये अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए, स्थानीय नेताओं को मध्यस्थता के माध्यम से भीड़ को शांत करने में शामिल होना चाहिये।

    निष्कर्ष:

    रोहित को कानून प्रवर्तन और जनता के विश्वास के बीच संतुलन बनाना होगा। बातचीत और सामुदायिक सहभागिता को प्राथमिकता देकर, वह हिंसा को रोक सकता है तथा स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है, जिससे प्रभावी पुलिसिंग एवं स्थायी शांति सुनिश्चित हो सके।

  • 2024

    Q10. स्नेहा एक वरिष्ठ प्रबंधक हैं जो एक मध्यम आकार वाले शहर में एक बड़ी प्रतिष्ठित अस्पताल शृंखला के लिये काम करती हैं। उन्हें एक नए सुपर स्पेशियलिटी सेंटर का प्रभारी बनाया गया है जिसे अस्पताल अत्याधुनिक उपकरणों और विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाओं के साथ निर्मित किया जा रहा है। भवन का पुनर्निर्माण के साथ विभिन्न उपकरणों और मशीनों की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर रही हैं। खरीद के लिये ज़िम्मेदार समिति के प्रमुख के रूप में उन्होंने चिकित्सा उपकरणों का कारोबार करने वाले सभी प्रतिष्ठित इच्छुक विक्रेताओं से बोलियाँ आमंत्रित की हैं। उन्होंने देखा कि उनका भाई, जो इस क्षेत्र में एक प्रसिद्ध आपूर्तिकर्त्ता है, ने भी अपनी रुचि व्यक्त की है। चूँकि अस्पताल निजी स्वामित्व में है, इसलिये उनके लिये केवल कम बोली लगाने वाले को चुनना अनिवार्य नहीं है। इसके अलावा उन्हें ज्ञात है कि उनके भाई की कंपनी कुछ वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रही है और बड़ी आपूर्ति का एक आदेश उसे उबारने में सहायता करेगा। साथ ही उनके भाई को अनुबंध आबंटित करना, उनके खिलाफ पक्षपात का आरोप लग सकता है और उनकी छवि खराब कर सकता है। अस्पताल प्रबंधन उन पर पूरा भरोसा करता है और उनके किसी भी फैसले का समर्थन करेगा।

    (a) स्नेहा को क्या करना चाहिये?

    (b) वह जो करना चाहती हैं उसे कैसे उचित सिद्ध करेंगी?

    (c) इस मामले में, चिकित्सा नैतिकता कैसे निहित व्यक्तिगत हित से युक्त है?

    (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये)

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • मामले को संक्षेप में समझाकर उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये तथा नैतिक सिद्धांतों स्पष्ट कीजिये।
    • कार्रवाई की सिफारिश के साथ व्यापक निहितार्थों पर विचार कीजिये।

    परिचय:

    विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा उद्योग में, जहाँ निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा रोगी देखभाल मानकों एवं विश्वास को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, व्यक्तिगत संबंधों एवं व्यावसायिक दायित्वों के बीच संभावित संघर्ष खरीद निर्णयों के संदर्भ में नैतिक मानकों को गंभीर रूप से कमज़ोर कर सकता है।

    मुख्य भाग:

    a) व्यावसायिक ईमानदारी और नैतिक व्यवहार स्नेहा की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये। उसे निम्नलिखित विकल्पों का चयन करना चहिये:

    • अपने भाई की उम्मीदवारी से उत्पन्न हितों के टकराव का हवाला देते हुए, उन्होंने खरीद समिति से त्याग-पत्र दे देना चहिये।
    • अस्पताल प्रशासन को परिस्थितियों से अवगत कराने के साथ खरीद प्रक्रिया की निगरानी के लिये एक निष्पक्ष समिति गठित करने का अनुरोध करें।
    • सुनिश्चित करें कि बोली प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो और प्रत्येक विक्रेता को समान महत्त्व दिया जाए।

    b) स्नेहा इस बात पर ज़ोर देकर अपने कार्यों को उचित ठहरा सकती है:

    • नैतिक उत्तरदायित्व: खरीद समिति की अध्यक्ष के रूप में उनकी पहली ज़िम्मेदारी अस्पताल और उसके मरीज़ों के प्रति है।
    • पारदर्शिता: वह हितों के टकराव की घोषणा करके अस्पताल के कर्मियों और प्रबंधन का विश्वास बनाए रखती है।
    • निष्पक्षता: स्वयं को इससे अलग करने से सभी के लिये निष्पक्ष चयन प्रक्रिया सुनिश्चित होती है।
    • व्यावसायिकता: उनके कार्य अस्पताल की प्रतिष्ठा और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं।

    c) इस मामले में अंतर्निहित चिकित्सा नैतिकता को निम्नलिखित द्वारा चुनौती दी गई है:

    • संभावित पूर्वाग्रह: यहाँ तक ​​कि यह सूक्ष्म रूप से, स्नेहा का व्यक्तिगत संबंध निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
    • रोगी देखभाल में समझौता: गुणवत्ता की अपेक्षा प्रतिष्ठा के आधार पर उपकरणों का चयन करने से चिकित्सीय सेवाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली देखभाल का स्तर प्रभावित हो सकता है। 
    • पद का दुरुपयोग: अपने परिवार के किसी सदस्य को लाभ पहुँचाने के लिये अपने अधिकार का प्रयोग करने से सत्ता का दुरुपयोग होगा।
    • विश्वास में कमी: यदि यह स्थिति सामने आ जाए तो इससे अस्पताल की कार्यप्रणाली में जनता का विश्वास खत्म हो सकता है।

    निष्कर्ष:

    एक विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा वातावरण, नैतिक सिद्धांतों का पालन करने वाली खरीद प्रक्रिया पर निर्भर करता है। पारदर्शिता एवं समानता को बढ़ावा देने के माध्यम से स्नेहा द्वारा अस्पताल में गुणवत्तापूर्ण रोगी देखभाल के साथ-साथ जनता के विश्वास में वृद्धि कर सकता है।

  • 2024

    प्रश्न 11. 

    इस वर्ष असाधारण रूप से भीषण गर्मी होने के कारण, ज़िले को पानी की घोर कमी का सामना करना पड़ रहा है। ज़िला कलेक्टर ज़िले को गंभीर पेयजल संकट से उबारने हेतु शेष जल भंडार को संरक्षित करने के लिये अपने अधीनस्थ अधिकारियों को सक्रिय कर रहे हैं। जल संरक्षण के लिये जागरूकता अभियान के साथ-साथ भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिये सख्त कदम उठाए गए हैं। गाँवों का दौरा करने हेतु सतर्कता दल तैनात किये गए हैं। सिंचाई के लिये गहरे बोरवेल अथवा नदी जलाशय से पानी खींचने वाले किसानों की शिनाख्त की जा रही है। ऐसी कार्रवाई से किसान आक्रोश में आ जाते हैं। किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल अपने मुद्दों को लेकर ज़िला कलेक्टर से मिलता है और शिकायत करता है कि जहाँ उन्हें अपनी फसल की सिंचाई की अनुमति नहीं दी जा रही है, वहीं नदी के पास स्थित बड़े उद्योग अपनी औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिये गहरे बोरवेल के माध्यम से भारी मात्रा में पानी खींच रहे हैं। किसानों का आरोप है कि उनका प्रशासन किसान विरोधी और भ्रष्ट है, जिसे उद्योग द्वारा रिश्वत दी जा रही है। ज़िलों को, किसानों को शांत करने की ज़रूरत है क्योंकि वे लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दे रहे हैं। वहीं ज़िला कलेक्टर को जल संकट से निपटना भी होगा। उद्योग को बंद नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे बड़ी संख्या में श्रमिक बेरोज़गार हो जाएंगे। 

    (a) एक ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में ज़िला कलेक्टर के लिये उपलब्ध सभी विकल्पों पर चर्चा कीजिये।

    (b) हितधारकों के परस्पर अनुकूल हितों को ध्यान में रखते हुए कौन-सी उचित कार्रवाइयाँ की जा सकती हैं? 

    (c) ज़िला कलेक्टर के लिये संभावित प्रशासनिक और नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?

     (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये)

    हल करने दृष्टिकोण: 

    • स्थिति के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये। 
    • ज़िला को उपलब्ध सभी विकल्पों का उल्लेख कीजिये।  
    • वह उपयुक्त कार्रवाई बताइये जो की जा सकती है।  
    • संभावित प्रशासनिक और नैतिक दुविधाओं पर प्रकाश डालिये।  
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये। 

    परिचय: 

    भूजल उपयोग पर प्रतिबंधों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच ज़िला कलेक्टर (DC) पानी की गंभीर कमी से जूझ रहा है। किसान प्रशासन पर उद्योगों के प्रति पक्षपात करने का आरोप लगाते हैं, जबकि रोज़गार की चिंताओं के कारण औद्योगिक संचालन को रोका नहीं जा सकता।

    मुख्य भाग: 

    (a) ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में ज़िला कलेक्टर (DC) के लिये उपलब्ध सभी विकल्प।

    • जल प्रतिबंध लागू करना: किसानों और उद्योगों दोनों के लिये जल संरक्षण उपायों को सख्ती से लागू करना
    • उद्योगों पर अस्थायी प्रतिबंध: जल उपयोग पर अस्थायी सीमाएँ लागू करना और उद्योगों को कुशल जल-उपयोग प्रौद्योगिकियाँ अपनाने में सहायता करना।
    • न्यायसंगत जल वितरण: संभवतः राशनिंग या जल-बचत प्रौद्योगिकियों के माध्यम से, उचित जल वितरण के लिये किसानों और उद्योगों के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाना।
    • वैकल्पिक जल स्रोत: आस-पास के ज़िलों से जल परिवहन, वर्षा जल संचयन, उद्योगों में पुनर्चक्रण, या बाह्य स्रोत का उपयोग जैसे विकल्पों का पता लगाना।

    (b) हितधारकों के पारस्परिक रूप से सुसंगत हितों को ध्यान में रखते हुए क्या उपयुक्त कार्रवाई की जा सकती है?

    • समतामूलक जल वितरण: कृषि और उद्योगों के लिये जल राशनिंग को लागू करना, जल-कुशल प्रौद्योगिकियों तथा सीमित सिंचाई को प्रोत्साहित करना।
    • जल संरक्षण को बढ़ावा देना: किसानों को ड्रिप सिंचाई अपनाने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना तथा उद्योगों को अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण करने के लिये प्रोत्साहित करना।
    • जन जागरूकता: सामूहिक ज़िम्मेदारी को उजागर करने और किसानों की निराशा को कम करने के लिये जल संरक्षण अभियानों का विस्तार करना।
    • शिकायत निवारण: संचार को बढ़ावा देने और विवादों के निपटान के लिये किसानों तथा उद्योगों के लिये एक बहु-हितधारक मंच की स्थापना करना।

    (c) ज़िला कलेक्टर के लिये संभावित प्रशासनिक और नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?

    • समता बनाम दक्षता: कलेक्टर को आर्थिक उत्पादकता से समझौता किये बिना किसानों और उद्योगों के बीच उचित जल वितरण को संतुलित करना चाहिये। किसी एक का पक्ष लेने से अकुशलता या पक्षपात की आशंका हो सकती है।
    • किसानों के हित बनाम औद्योगिक हित: किसानों और उद्योगों दोनों की जल आवश्यकताओं को पूरा करने में चुनौती है, क्योंकि किसी एक का पक्ष लेने से दूसरे समूह में अशांति पैदा हो सकती है।
    • पारदर्शिता बनाम भ्रष्टाचार: किसानों की पक्षपात और भ्रष्टाचार संबंधी चिंताओं का समाधान करते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित करना कलेक्टर के लिये एक प्रमुख नैतिक दुविधा है।
    • सार्वजनिक विश्वास बनाम दीर्घकालिक स्थिरता: कलेक्टर को भविष्य में संकटों को रोकने के लिये स्थायी जल प्रबंधन के साथ तत्काल सार्वजनिक मांगों को संतुलित करना चाहिये। अल्पकालिक लाभ से दीर्घकालिक स्थिरता प्रभावित नहीं होनी चाहिये।

    निष्कर्ष:

    इस मुद्दे का समाधान करने तथा जनता के विश्वास और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिये, ज़िला कलेक्टर को जल संसाधनों के न्यायसंगत वितरण की गारंटी देनी चाहिये, हितधारकों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिये तथा जल-बचत प्रौद्योगिकियों को लागू करना चाहिये।

  • 2024

    प्रश्न 12. डॉ. श्रीनिवासन एक प्रतिष्ठित जैव-प्रौद्योगिकी कंपनी में कार्यरत एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। यह कंपनी फार्मास्युटिकल में अपने अत्याधुनिक शोध के लिये जानी जाती है। डॉ. श्रीनिवासन किसी नई दवा पर काम करने वाली एक शोध टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य एक नए वाइरस (विषाणु) से तेज़ी से फैलने वाले संक्रमित रोग का इलाज करना है। यह बीमारी दुनिया भर में तेज़ी से फैल रही है और देश में इसके मामलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। डॉ. श्रीनिवासन की टीम पर इस दवा के ट्रायल में तेज़ी लाने का बहुत दबाव है क्योंकि इसके लिये बाज़ार में काफी मांग है और कंपनी बाज़ार में पहला कदम रखने का फायदा उठाना चाहती है। टीम मीटिंग के दौरान टीम के कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने दवा के क्लिनिकल (नैदानिक) परीक्षणों में तेज़ी लाने और अपेक्षित अनुमोदन प्राप्त करने के लिये कुछ शॉर्टकट सुझाए। इनमें कुछ नकारात्मक परिणामों को बाहर करने के लिये डेटा में हेरफेर करना और चुनिंदा रूप में सकारात्मक परिणामों की रिपोर्ट करना, सूचित सहमति की प्रक्रिया को छोड़ देना तथा स्वयं का घटक विकसित करने के बजाए, प्रतिद्वंद्वी कंपनी द्वारा पहले से पेटेंट किये गए यौगिकों का उपयोग करना शामिल हैं। डॉ. श्रीनिवासन ऐसे शॉर्टकट लेने में सहज नहीं हैं, साथ ही उन्हें यह भी पता चला है कि इन तरीकों का उपयोग किये बिना लक्ष्यों को पूरा करना असंभव है।

    (a) ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे?

    (b) इसमें शामिल नैतिक प्रश्नों के प्रकाश में अपने विकल्पों और परिणामों का परीक्षण कीजिये।

    (c) ऐसे परिदृश्य में, डेटा नैतिकता और औषधि नैतिकता किस प्रकार बड़े पैमाने पर मानवता को बचा सकती हैं?

    (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये)

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • ऐसी स्थिति में शामिल नैतिक दुविधा के संदर्भ में संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • प्रश्नों के आलोक में अपने विकल्प और परिणाम बताइये। 
    • ऐसे परिदृश्य में डेटा और औषधि नैतिकता मानवता को कैसे बचा सकती है। बताइये।  
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    डॉ. श्रीनिवासन को नैतिक दुविधा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनकी शोध टीम तेज़ी से फैल रही वायरल रोग के लिये दवा परीक्षणों में तेज़ी लाने के लिये अनैतिक प्रथाओं का सुझाव दे रही है। चुनौती यह है कि त्वरित सफलता के लिये पेशेवर सत्यनिष्ठा और बाज़ार के दबाव के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।

    हितधारक: 

    • डॉ. श्रीनिवासन (प्रमुख शोधकर्त्ता): वैज्ञानिक अखंडता पर ध्यान केंद्रित; अनुसंधान में शॉर्टकट के विकल्प।
    • अनुसंधान दल: समय-सीमा को पूरा करने के दबाव के कारण अनैतिक व्यवहार के सुझाव दिये गए।
    • जैव-प्रौद्योगिकी कंपनी: वित्तीय लाभ और बाज़ार लाभ का लक्ष्य।
    • मरीज़ और आम जनता: सुरक्षित और प्रभावी उपचार की तलाश में।

    मुख्य भाग: 

    (a)   

    डॉ. श्रीनिवासन के रूप में मैं नैदानिक ​​परीक्षणों में नैतिक मानकों और पारदर्शिता को प्राथमिकता दूँगा। हालाँकि दबाव में वैज्ञानिक अखंडता से समझौता करने से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हानिकारक परिणाम हो सकते हैं। इसके बजाय मैं समय-सीमा को पूरा करने के लिये कानूनी विकल्पों की खोज पर ध्यान केंद्रित करूँगा, जैसे कि संसाधनों में वृद्धि या बाहरी संस्थानों के साथ सहयोग करना आदि।

    (b)

    विकल्प 1: डेटा में हेरफेर करना और सूचित सहमति की अनदेखी करना

    • नैतिक मुद्दा: वैज्ञानिक वैधता से समझौता, रोगी के विश्वास और सार्वजनिक सुरक्षा का उल्लंघन।
    • परिणाम: हानिकारक औषधि के जारी होने से मुकदमे और सार्वजनिक अविश्वास उत्पन्न हो सकता है, लेकिन इससे प्रक्रिया में तेज़ी आ सकती है और वित्तीय लाभ में वृद्धि हो सकती है।

    विकल्प 2: प्रतिद्वंद्वी के पेटेंट यौगिकों का उपयोग करना

    • नैतिक मुद्दा: बौद्धिक संपदा का उल्लंघन, नैतिक और कानूनी मानकों का उल्लंघन।
    • परिणाम: इससे कानूनी कार्रवाई का जोखिम रहता है और कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है, जिससे औषधि की प्रगति रुक ​​सकती है; हालाँकि इससे उपचार तक त्वरित पहुँच भी संभव हो सकती है और प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ में सुधार हो सकता है।

    विकल्प 3: नैतिक दिशा-निर्देशों का पालन करना

    • नैतिक मुद्दा: डेटा अखंडता और रोगी सुरक्षा को बनाए रखना।
    • परिणाम: नैतिक दिशा-निर्देशों के अनुपालन से औषधि के विकास में विलंब हो सकता है और कठोर परीक्षण के कारण लागत बढ़ सकती है, जिससे बाज़ार से प्राप्त होने वाले अवसरों से वंचित हो सकते हैं।
      • हालाँकि नीति आयोग के नैतिक दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रतिभागियों की सुरक्षा और सार्वजनिक विश्वास के लिये नैतिक अनुसंधान महत्त्वपूर्ण है, जिससे यह रोगी की सुरक्षा तथा औषधियों के विकास में दीर्घकालिक विश्वसनीयता के लिये आवश्यक हो जाता है।

    (c) 

    डेटा नैतिकता सुनिश्चित करती है कि शोध पारदर्शी, पुनरुत्पादनीय और भरोसेमंद हो। औषधि की नैतिकता कठोर परीक्षण और सूचित सहमति के माध्यम से रोगी के अधिकारों तथा सुरक्षा को सुनिश्चित करती है।  

    निष्कर्ष:

    नैतिक मानकों को दबावपूर्वक भी बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है। यह दीर्घकालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखता है, वैज्ञानिक विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है और औषधि उद्योग की सामाजिक ज़िम्मेदारी को बनाए रखता है। 

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